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मध्यम वर्ग को राहत, मगर शेयर कमाई पर टैक्स बढ़ोतरी संभव

08 Feb, 2022

चर्चा में क्यों?

  • आगामा वित्त वर्ष (2022-23) के बजट में सरकार शेयर की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर अधिक टैक्स का प्रावधान कर सकती है। वहीं, मध्यम वर्ग के हाथ में खर्च के लिए अधिक राशि देने के विचार से 80-सी की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है।

मुख्य विंदु

  • पिछले दो वर्षों से 80-सी के तहत टैक्स बचत की 1.5 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाने की मांग चल रही है। कोरोना काल में इक्विटी बाजार की ओर खुदरा निवेशकों के तेजी से बढ़ रहे रुझान को देखते हुए सरकार शेयर बिक्री से होने वाले मुनाफे पर पहले के मुकाबले अधिक टैक्स लगा सकती है।
  • शेयर की खरीद-बिक्री से पिछले एक-डेढ़ वर्ष में लोग अच्छी कमाई करने लगे हैं। यही वजह है कि इक्विटी की खरीदारी के लिए जरूरी डीमैट खातों की संख्या पिछले सिर्फ दो वर्षों के दौरान दोगुना से अधिक हुई है।
  • वित्त वर्ष 2018-19 में डीमैट खातों की संख्या 3.6 करोड़ थी जो पिछले साल नवंबर के अंत तक 7.4 करोड़ हो गई। डायरेक्ट टैक्स विशेषज्ञो के अनुसार पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान कई कंपनियों के शेयर भाव में 150 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। इसका लाभ फायदा निवेशकों को मिल रहा है। ऐसे में सरकार इन फायदे पर टैक्स बढ़ाकर आर्थिक सुधारो को बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है।
  • वर्तमान में एक वर्ष के बाद शेयर बिक्री से होने वाले लाभ पर लांग टर्म कैपिटल गेन के तहत 10 प्रतिशत, एक वर्ष से कम अवधि में शार्ट टर्म कैपिटल गेन के तहत 15 प्रतिशत और इंट्रा-डे में मिले लाभ पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है।
  • दूसरी तरफ चालू वित्त वर्ष में कर संग्रह के मोर्चे पर सरकार काफी मजबूत स्थिति में है। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर मध्य तक डायरेक्ट टैक्स संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अधिक के मुकाबले 60.2 प्रतिशत बढ़ चुका है।
  • डायरेक्ट और इंडायरेक्ट टैक्स की कुल वसूली चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में कोरोना से ठीक पहले की समान अवधि यानी अप्रैल-अक्टूबर, 2019 के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक रही है।
  • इस प्रकार अगले वर्ष सरकार पर कर संग्रह का वैसा दबाव नहीं होगा। ऐसे में आयकर अधिनियम के 80-सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा बढ़ाने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है।

80-सी आयकर अधिनियम

  • आयकर अधिनियम 80-सी के तहत करदाताओं को ईपीएफ, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल सेविंग्स स्कीम, इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम, होम लोन पर मूलधन भुगतान, प्रापर्टी खरीद पर रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टांप ड्यूटी चार्ज और इन्फ्रा बाड्स समेत कुछ अन्य मदों में भुगतान पर टैक्स में छुट का प्रावधान किया गया है।
Pravin Baraiya

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