Polity

सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-1

29 Jan, 2022

इकाई- 1 विविधता

विविधता की समझ

  • भारत में विविधता भारत विविधताओं का देश है। हम विभिन्न भाषाएँ बोलते हैं। विभिन्न प्रकार का खाना खाते हैं, अलग-अलग त्योहार मनाते हैं और भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं। लेकिन वास्तव में हम एक ही तरह की चीजें करते हैं केवल हमारे करने के तरीके अलग हैं।

विविधता:

  • विविधता का अर्थ है अलग अलग तरह की चीजें, धर्म, बोली, भाषा और समाज। जैसे भारत एक विविधता वादी समाज या राष्ट्र है अर्थात यहां विभिन्न प्रकार की बोलियां भाषाओं और सभ्यताओं या धर्म और जातियां मिलती हैं।
  • यह संसार विविधताओं से भरपूर है व्यत्तिफ़यों में वातावरण में और जीवन के सभी क्षेत्रें में भी बताएं पाई जाती हैं जाति धर्म लिंग योन अभिवृत्ति सामाजिक आर्थिक स्थिति शारीरिक क्षमता धार्मिक मान्यताओं आदि की व्यत्तिफ़गत मतभेदों के द्वारा पहचाना जा सकता है।
  • गरशेल के अनुसार- विविधता का अर्थ योग्यता लिंग जाती प्रजाति भाषा चिंता स्तर सामाजिक आर्थिक स्तर विकलांगता व्यवहार या धर्म से संबंधित होता है।

विविधता को कैसे समझें?

  • करीब दो-सवा दो सौ वर्ष पहले जब रेल, हवाई जहाज, बस और कार हमारे जीवन का हिस्सा नहीं थे, तब भी लोग संसार के एक भाग से दूसरे भाग की यात्र करते थे। वे पानी के जहाज में, घोड़ों या ऊँट पर बैठकर जाते या फिर पैदल चलकर।
  • अक्सर ये यात्रएँ खेती और बसने के लिए नई जमीन की तलाश में या फिर व्यापार के लिए की जाती थीं। चूँकि यात्र में बहुत समय लगता था, इसलिए लोग नई जगह पर अक्सर काफी लंबे समय तक ठहर जाते थे।
  • इसके अलावा सूखे और अकाल के कारण भी कई बार लोग अपना घर-बार छोड़ देते थे। उन्हें जब पेट भर खाना तक नहीं मिलता था तो वे नई जगह जा कर बस जाते थे। कुछ लोग काम की तलाश में और कुछ युद्ध के कारण घर छोड़ देते थे।
  • लोग जब नई जगह में बसना शुरू करते थे तो उनके रहन-सहन में थोड़ा बदलाव आ जाता था। कुछ चीजें वे नई जगह की अपना लेते थे और कुछ चीजों में वे पुराने ढर्रे पर ही चलते रहते थे।
  • इस तरह उनकी भाषा, भोजन, संगीत, धर्म आदि में नए और पुराने का मिश्रण होता रहता था। उनकी संस्कृति और नई जगह की संस्कृति में आदान-प्रदान होता और धीरे-धीरे एक मिश्रित यानी मिली-जुली संस्कृति उभरती।
  • अगर अलग-अलग क्षेत्रें का इतिहास से पता चलता है कि किस तरह विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों ने वहाँ के जीवन और संस्कृति को आकार देने में योगदान किया है। इस तरह से कई क्षेत्र अपने विशिष्ट इतिहास के कारण विविधता संपन्न हो जाते थे।
  • ठीक इसी प्रकार लोग अलग-अलग तरह की भौगोलिक स्थितियों से किस प्रकार सामंजस्य बैठाते हैं, उससे भी विविधता उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए समुद्र के पास रहने में और पहाड़ी इलाकों में रहने में बड़ा प़फ़र्क है। न केवल वहाँ के लोगों के कपड़ों और खान-पान की आदतों में प़फ़र्क होगा, बल्कि जिस तरह का काम वे करेंगे, वे भी अलग होंगे।
  • शहरों में अक्सर लोग यह भूल जाते हैं कि उनका जीवन उनके भौतिक वातावरण से किस तरह गहराई से जुड़ा हुआ है। ऐसा इसलिए कि शहरों में लोग विरले ही अपनी सब्जी या अनाज उगाते हैं। वे इन चीजों के लिए बाजार पर ही निर्भर रहते हैं।
  • भारत के दो भागों - लद्दाख और केरल के उदाहरण के जरिए यह समझने की कोशिश करें कि किसी क्षेत्र की विविधता पर उसके ऐतिहासिक और भौगोलिक कारकों का क्या असर पड़ता है।

लद्दाख:

  • लद्दाख जम्मू और कश्मीर के पूर्वी हिस्से में पहाड़ियों में बसा एक रेगिस्तानी इलाका है। यहाँ पर बहुत ही कम खेती संभव है, क्योंकि इस क्षेत्र में बारिश बिल्कुल नहीं होती और यह क्षेत्र वर्षभर बप़फ़र् से ढँका रहता है।
  • इस क्षेत्र में बहुत ही कम पेड़ उग पाते हैं। पीने के पानी के लिए लोग गर्मी के महीनों में पिघलने वाली बप़फ़र् पर निर्भर रहते हैं।
  • यहाँ के लोग एक खास किस्म की बकरी पालते हैं जिससे पश्मीना ऊन मिलता है। यह ऊन कीमती है, इसीलिए पश्मीना शाल बड़ी महँगी होती है। मुख्यतः कश्मीर में ही पश्मीना शालें बुनी जाती हैं।
  • यहाँ के लोग दूध से बने पदार्थ, जैसे मक्खन, चीज (खास तरह का छेना) एवं मांस खाते हैं। हर एक परिवार के पास कुछ गाय, बकरी और याक होती हैं। रेगिस्तान होने के बावजूद व्यापारी यहाँ आने के लिए आकर्षित होते हैं।
  • यहाँ कई घाटियाँ हैं जिनसे गुजर कर मध्य एशिया के कापि़फ़ले उस इलाके में पहुँचते थे जिसे तिब्बत कहते हैं।
  • ये कापि़फ़ले अपने साथ मसाले, कच्चा रेशम, दरियाँ आदि लेकर चलते थे।
  • लद्दाख के रास्ते ही बौद्ध धर्म तिब्बत पहुँचा। लद्दाख को छोटा तिब्बत भी कहते हैं। करीब चार सौ साल पहले यहाँ पर लोगों का इस्लाम धर्म से परिचय हुआ और अब यहाँ अच्छी- खासी संख्या में मुसलमान रहते हैं।
  • लद्दाख में गानों और कविताओं का बहुत ही समृद्ध मौखिक संग्रह है। तिब्बत का ग्रंथ केसर सागा लद्दाख में काफी प्रचलित है।
  • उसके स्थानीय रूप को मुसलमान और बौद्ध दोनों ही लोग गाते हैं और उस पर नाटक खेलते हैं।

केरल:

  • केरल भारत के दक्षिणी-पश्चिमी कोने में बसा हुआ राज्य है। यह एक तरफ समुद्र से घिरा हुआ है और दूसरी तरफ पहाड़ियों से।
  • इन पहाड़ियों पर विविध प्रकार के मसाले जैसे कालीमिर्च, लौंग, इलायची आदि उगाए जाते हैं। इन मसालों के कारण यह क्षेत्र व्यापारियों के लिए बहुत ही आकर्षक बना।
  • सबसे पहले अरबी एवं यहूदी व्यापारी केरल आए। ऐसा माना जाता है कि ईसा मसीह के धर्मदूत संत थॉमस लगभग दो हजार साल पहले यहाँ आए।
  • भारत में ईसाई धर्म लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। अरब से कई व्यापारी यहाँ आकर बस गए। इब्न बतूता ने, जो करीब 700 साल पहले यहाँ आए, अपने यात्र वृत्तांत में मुसलमानों के जीवन का विवरण देते हुए लिखा है कि मुसलमान समुदाय की यहाँ बड़ी इज्जत थी।
  • वास्को डि गामा पानी के जहाज से यहाँ पहुँचे तो पुर्तगालियों ने यूरोप से भारत तक का समुद्री रास्ता जाना।
  • इन सभी ऐतिहासिक प्रभावों के कारण केरल के लोग विभिन्न धर्मों का पालन करते हैं जिनमें यहूदी, इस्लाम, ईसाई, हिंदू एवं बौद्ध धर्म शामिल हैं।
  • चीन के व्यापारी भी केरल आए। यहाँ पर मछली पकड़ने के लिए जो जाल इस्तेमाल किए जाते हैं वे चीनी जालों से हू-ब-हू मिलते हैं और उन्हें ‘चीना-वला’ कहते हैं।
  • तलने के लिए लोग जो बर्तन इस्तेमाल करते हैं उसे ‘चीनाचट्टी’ कहते हैं। इसमें ‘चीन’ शब्द इस बात की ओर इशारा करता है कि उसकी उत्पत्ति कहाँ हुई होगी।
  • केरल की उपजाऊ जमीन और जलवायु चावल की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है और वहाँ के अधिकतर लोग मछली, सब्जी और चावल खाते हैं।
  • जहाँ केरल और लद्दाख की भौगोलिक स्थितियाँ एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं, वहीं दोनों क्षेत्रें के इतिहास में एक ही प्रकार के सांस्कृतिक प्रभाव हैं। दोनों ही क्षेत्रें को चीन और अरब से आने वाले व्यापारियों ने प्रभावित किया।
  • जहाँ केरल की भौगोलिक स्थिति ने मसालों की खेती संभव बनाई, वहीं लद्दाख की विशेष भौगोलिक स्थिति और ऊन ने व्यापारियों को अपनी ओर खींचा। इस तरह पता चलता है कि किसी भी क्षेत्र के सांस्कृतिक जीवन का उसके इतिहास और भूगोल से प्रायः गहरा रिश्ता होता है।
  • विविध संस्कृतियों का प्रभाव केवल बीते हुए कल की बात नहीं है। हमारे वर्तमान जीवन का आधार ही काम के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाना है। हर एक कदम के साथ हमारे सांस्कृतिक रीति-रिवाज और जीने का तरीका धीरे-धीरे उस नए क्षेत्र का हिस्सा बन जाते हैं जहाँ हम पहुँचते हैं। ठीक इसी तरह अपने पड़ोस में अलग-अलग समुदायों के लोगों के साथ रहते हैं।

विविधता में एकता

  • भारत की विविधता या अनेकता को उसकी ताकत का स्रोत माना गया है। जब अंग्रेजों का भारत पर राज था तो विभिन्न धर्म, भाषा और क्षेत्र की महिलाओं और पुरुषों ने अंग्रेजों के खिलाप़फ़ मिलकर लड़ाई लड़ी थी।
  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अलग-अलग परिवेशों के लोग शामिल थे। उन्होंने एकजुट होकर आंदोलन किया, इकट्ठे जेल गए और अंग्रेजों का अलग-अलग तरीकों से विरोध किया।
  • अंग्रेजों ने भारत के लोगों में फूट डालने का प्रयास किया क्योंकि उनका मानना था कि भारतीयों में काफी विविधताएँ हैं और इस तरह उनका राज चलता रहेगा। मगर लोगों ने दिखला दिया कि वे एक-दूसरे से चाहे कितने ही भिन्न हों, अंग्रेजों के खिलाफ़ लड़ी जाने वाली लड़ाई में वे सब एक थे।
  • जलियाँवाला बाग हत्याकांड में एक ब्रिटिश जनरल ने उन शांतिप्रिय, निहत्थे लोगों पर खुले आम गोलियाँ चलवा दी थीं जो बाग में इकट्ठे होकर सभा कर रहे थे।
  • महिला-पुरुष, हिंदू-मुसलमान एवं सिख - कितने सारे लोग थे जो अंग्रेजों की पक्षपातपूर्ण नीति का विरोध करने के लिए जमा हुए थे। उसमें से बहुत लोगों की जानें गईं और उससे भी ज़्यादा घायल हुए। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ही भारत के झंडे की परिकल्पना की गई थी। इस झंडे को सारे भारत में लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ इस्तेमाल किया था।
  • जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किताब भारत की खोज में लिखा कि भारतीय एकता कोई बाहर से थोपी हुई चीज नहीं है, बल्कि फ्यह बहुत ही गहरी है जिसके अंदर अलग-अलग तरह के विश्वास और प्रथाओं को स्वीकार करने की भावना है।
  • इसमें विविधता को पहचाना और प्रोत्साहित किया जाता है।य् यह नेहरू ही थे जिन्होंने भारत की विविधता का वर्णन करते हुए ‘अनेकता में एकता’ का विचार हमें दिया।

विविधता एवं भेदभाव

  • हम क्या हैं और हम कैसे हैं, यह कई चीजों पर निर्भर करता है। हम कैसे रहते हैं, कौन-सी भाषाएँ बोलते हैं, क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, कौन-से खेल खेलते हैं और कौन-से उत्सव मनाते हैं- इन सब पर हमारे रहने की जगह के भूगोल और उसके इतिहास का असर पड़ता है। संक्षेप में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दें-
  • संसार में आठ मुख्य धर्म हैं। भारत में उन आठों धर्मों के अनुयायी यानी मानने वाले रहते हैं।
  • यहाँ सोलह सौ से ज्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं जो लोगों की मातृभाषाएँ हैं। यहाँ सौ से भी ज्यादा तरह के नृत्य किए जाते हैं।
  • यह विविधता हमेशा खुश होने का कारण नहीं बनती। हम उन लोगों के साथ सुरक्षित एवं आश्वस्त महसूस करते हैं जो हमारी तरह दिखते हैं, बात करते हैं, कपड़े पहनते हैं और हमारी तरह सोचते हैं।
  • कभी-कभी जब हम ऐसे लोगों से मिलते हैं जो हमसे बहुत भिन्न होते हैं, तो हमें वे बहुत अजीब और अपरिचित लग सकते हैं।

भेदभाव या विभेदन:

  • किसी व्यत्तिफ़ या अन्य चीज के पक्ष में या उस के विरुद्ध, उसके व्यत्तिफ़गत गुणों-अवगुणों को न देते हुए, उसके किसी वर्ग, श्रेणी या समूह का सदस्य होने के आधार पर भेद करने की प्रक्रिया को कहते हैं।
  • भेदभाव में अक्सर किसी व्यत्तिफ़ को केवल उसके वर्ग के
  • आधार पर अवसरों, स्थानों, अधिकारों और अन्य चीजों से वंछित कर दिया जाता है।
  • भेदभावी परम्पराएँ, नीतियाँ, विचार, कानून और रीतियाँ बहुत से समाजों, देशों और संस्थाओं में हैं और अक्सर यह वहाँ भी मिलती हैं जहाँ औपचारिक रूप से भेदभाव को न्यायिक रूप से वर्जित या अनौचित्य समझा जाता है।
  • यह किसी धर्म जाति मूल वंश के प्रति किया गया नकारात्मक व्यवहार है।

पूर्वाग्रह

  • किसी के भी दिमाग में ग्रामीण या शहरी लोगों को लेकर किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह हैं क्या दूसरे लोगों के दिमाग में भी ये पूर्वाग्रह हो, लोगों के दिमाग में ये पूर्वाग्रह क्यों होते हैं?

ग्रामीण लोग:

  • आधे से ज्यादा भारतीय गाँवों में रहते हैं।
  • ग्रामीण लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क नहीं होते। वे बहुत अंधविश्वासी होते हैं।
  • गाँव के लोग बहुत पिछड़े हुए होते हैं और वे कृषि की आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते हैं।
  • फसल की बुवाई और कटाई के समय परिवार के लोग खेतों में 12 से 14 घंटों तक काम करते हैं।
  • ग्रामीण लोग काम की तलाश में शहरों की ओर स्थानान्तरण करने को बाध्य होते हैं।

शहरी लोग:

  • शहरी जीवन बड़ा आसान होता है। यहाँ के लोग बिगड़े हुए और आलसी होते हैं।
  • शहरों में लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ बहुत कम समय बिताते हैं।
  • शहरी लोग केवल पैसे की चिंता करते हैं, लोगों की नहीं।
  • शहरी लोगों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, वे चालाक और भ्रष्ट होते हैं।
  • शहरों में रहना बहुत महँगा पड़ता है। लोगों की कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा किराए और आने-जाने में खर्च हो जाता है।
  • इनमें से कुछ कथन ग्रामीण लोगों को अज्ञानी एवं अंधविश्वासी की तरह देखते हैं जबकि शहर में रहने वाले लोगों को आलसी, चालाक एवं सिर्फ पैसे से सरोकार रखने वालों की तरह देखते हैं।
  • जब किसी के बारे में पहले से कोई राय बना लेते हैं और उसे अपने दिमाग में बिठा लेते हैं तो वह पूर्वाग्रह का रूप ले लेती है। ज्यादातर यह राय नकारात्मक होती है। जैसा कि कथनों में दिया गया है- लोगों को आलसी, चालाक या कंजूस मानना भी पूर्वाग्रह है।
  • जब यह सोचने लगते हैं कि किसी काम को करने का कोई एक तरीका ही सबसे अच्छा और सही है, तो हम अक्सर दूसरों की इज्जत नहीं कर पाते जो उसी काम को दूसरी तरह से करना पसंद करते हैं। उदाहरण के लिए अगर हम सोचें कि अंग्रेजी सबसे अच्छी भाषा है और दूसरी भाषाएँ महत्त्वपूर्ण नहीं हैं, तो हम अन्य भाषाओं को बहुत नकारात्मक रूप से देखेंगे।
  • परिणामस्वरूप हम उन लोगों की शायद इज्जत नहीं कर पाएँगे जो अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाएँ बोलते हैं।
  • हम कई चीजों के बारे में पूर्वाग्रही हो सकते हैं लोगों के धामिर्क विश्वास, उनकी चमडी़ का रंग, जिस क्षेत्र से वे आते हैं जिस तरह से वे बोलते हैं जैसे कपडे़ वे पहनते हैं इत्यादि।
  • अक्सर दूसरों के बारे में बनाए गए हमारे पूर्वाग्रह इतने पक्के होते हैं कि हम उनसे दोस्ती नहीं करना चाहते। इस वजह से कई बार हमारा व्यवहार ऐसा होता है कि हम उन्हें दुःख पहुँचा देते हैं।

भेदभाव का प्रमुख कारण:

  • भारत सहित किसी भी देश में होने वाले भेदभाव का प्रमुऽ कारण पूर्वाग्रह है।
  • पूर्वाग्रह का तात्पर्य किसी व्यत्तिफ़ में संचित उन भावनाओं से है जिसके कारण वह किसी व्यक्ति अथवा समूह के प्रति सकारात्मक व नकारात्मक रुझान रहता है।
  • सामान्य रूप में सामाजिक विकास के दौरान व्यत्तिफ़ जिन परिस्थितियों में रहता है उनके आधार पर उसके मन में पूर्वाग्रह का निर्माण होता है।
  • पूर्वाग्रह से प्रभावित व्यक्ति वास्तविकता से अनभिज्ञ रहते हुए विशेष समूह और लोगों के प्रति भेदभाव पूर्ण व्यवहार करने लगता है।

पूर्वाग्रह से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ:

  • पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं से भेदभाव उनके मन में हीन भावना का संचार करता है।
  • इससे महिलाएँ सामाजिक विकास में पीछे छूट जाती हैं और उनके प्रति यौन हिंसा, घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक अपराध होते हैं।
  • हमारे देश में जाति के आधार पर भेदभाव एक बड़ी समस्या रही है। जाति आधारित भेदभाव तथा शोषण के मूल में पूर्वाग्रह की मानसिकता ही कार्य करती है।
  • उसी प्रकार सांप्रदायिकता की समस्या के मूल में भी दूसरे धर्म के लोगों के प्रति पूर्वाग्रह की भावना ही कार्य करती है।

लड़के और लड़की में भेदभाव

  • समाज में लड़के और लड़कियों में कई तरह से भेदभाव किया जाता है। सभी इस भेदभाव से परिचित हैं। एक लड़का या लड़की होने का अर्थ क्या होता है? कई लोग कहेंगे, ‘हम लड़के या लड़की की तरह जन्म लेते हैं। यह तो ऐसे ही होता है।‘
  • अगर इस कथन को लें कि ‘वे रोते नहीं’ तो यह गुण आमतौर पर लड़कों या पुरुषों के साथ जोड़ा जाता है। बचपन में जब लड़कों को गिर जाने पर चोट लग जाती है तो माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्य अक्सर यह कहकर चुप कराते हैं कि ‘रोओ मत। तुम तो लड़के हो। लड़के बहादुर होते हैं, रोते नहीं हैं।’ जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, वे यह विश्वास करने लगते हैं कि लड़के रोते नहीं हैं।
  • यहाँ तक कि अगर किसी लड़के को रोना आए भी तो वह अपने आप को रोक लेता है। लड़का यह मानता है कि रोना कमजोरी की निशानी है। हालाँकि लड़कों और लड़कियों दोनों का कभी- कभी रोने का मन करता है खासकर जब उन्हें गुस्सा आए या दर्द हो।
  • लेकिन बड़े होने तक लड़के सीख जाते हैं या अपने को सिखा लेते हैं कि रोना नहीं है। अगर एक बड़ा लड़का रोए तो उसे लगता है कि दूसरे उसे चिढ़ाएँगे या उसका मजाक बनाएँगे, इसलिए वह दूसरों के सामने रोने से अपने आप को रोक लेता है।
  • हम लगातार यह सुनते रहते हैं कि ‘लड़के ऐसे होते हैं’ और ‘लड़कियाँ ऐसी होती हैं’। समाज की इन मान्यताओं को बिना सोचे-समझे मान लेते हैं। हम विश्वास कर लेते हैं कि हमारा व्यवहार इनके अनुसार ही होना चाहिए। हम सभी लड़कों और लड़कियों को उसी छवि के अनुरूप देखना चाहते हैं।

रूढ़िबद्ध धारणाएँ बनाना

  • जब सभी लोगों को एक ही छवि में बाँध देते हैं या उनके बारे में पक्की धारणा बना लेते हैं, तो उसे रूढ़िबद्ध धारणा कहते हैं। कई बार किसी खास देश, धर्म, लिंग के होने के कारण किसी को ‘कंजूस’, ‘अपराधी’ या ‘बेवकूफ़’ ठहराते हैं। ऐसा दरअसल उनके बारे में मन में एक पक्की धारणा बना लेने के कारण होता है।
  • हर देश, धर्म आदि में हमें कंजूस, अपराधी, बेवकूफ़ लोग मिल ही जाते हैं। सिर्फ इसलिए कि कुछ लोग उस समूह में वैसे हैं, पूरे समूह के बारे में ऐसी राय बनाना वाजिब नहीं है।
  • इस प्रकार की धारणाएँ हमें प्रत्येक इंसान को एक अनोखे और अलग व्यक्ति की तरह देखने से रोक देती हैं। हम नहीं देख पाते कि उस व्यक्ति के अपने कुछ खास गुण और क्षमताएँ हैं जो दूसरों से अलग हैं।
  • रूढ़िबद्ध धारणाएँ बड़ी संख्या में लोगों को एक ही प्रकार के खाँचे में जड़ देती हैं। जैसे माना जाता था कि हवाई जहाज उड़ाने का काम लड़कियाँ नहीं कर सकतीं।
  • इन धारणाओं का असर हम सब पर पड़ता है। कई बार ये धारणाएँ हमें ऐसे काम करने से रोकती हैं जिनको करने की काबलियत शायद हममें हो।

मुस्लिम समुदाय की लड़कियों शिक्षा:

  • मुसलमानों के बारे में यह आम रूढ़िबद्ध धारणा है कि वे लड़कियों को पढ़ाने में रुचि नहीं लेते, इसीलिए उन्हें स्कूल नहीं भेजते।
  • जबकि अध्ययन यह दिखा रहे हैं कि मुसलमानों की गरीबी इसका एक महत्त्वपूर्ण कारण है। गरीबी की वजह से ही वे लड़कियों को स्कूल नहीं भेज पाते या स्कूल से जल्दी निकाल लेते हैं।
  • जहाँ पर भी गरीबों तक शिक्षा पहुँचाने के प्रयास किए गए हैं, वहाँ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपनी लड़कियों को स्कूल भेजने में रुचि दिखाई है। उदाहरण के तौर पर केरल में स्कूल प्रायः घर के पास हैं।
  • सरकारी बस की सुविधा बहुत अच्छी है जिससे ग्रामीण क्षेत्रें में शिक्षकों को स्कूल पहुँचने में मदद मिलती है। उनमें 60 प्रतिशत से ज्यादा महिला शिक्षक हैं। इन सभी कारकों ने बहुत सारे गरीब परिवार के बच्चों को स्कूल जाने में मदद की है जिनमें मुसलमान लड़कियाँ भी शामिल हैं।
  • दूसरे राज्यों में जहाँ ऐसे प्रयास नहीं किए गए, वहाँ गरीब परिवारों के बच्चों को स्कूल जाने में मुश्किल आती है-चाहे वे मुसलमान हों, जनजातीय हों या अनुसूचित जाति के हों। जाहिर है कि मुसलमान लड़कियों की स्कूल से गैर-हाजिरी का कारण धर्म नहीं, गरीबी है।

असमानता एवं भेदभाव

  • भेदभाव तब होता है जब लोग पूर्वाग्रहों या रूढ़िबद्ध धारणाओं के आधार पर व्यवहार करते हैं। अगर लोगों को नीचा दिखाने के लिए कुछ करते हैं, अगर उन्हें कुछ गतिविधियों में भाग लेने से रोकते हैं, किसी खास नौकरी को करने से रोकते हैं या किसी मोहल्ले में रहने नहीं देते, एक ही कुएँ या हैंडपंप से पानी नहीं लेने देते और दूसरों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कप या गिलास में चाय नहीं पीने देते तो इसका मतलब है कि उनके साथ भेदभाव कर रहे हैं। भेदभाव कई कारणों से हो सकता है।
  • किन्हीं दो लोगों का धर्म अलग होना विविधता का एक पहलू है। पर यह भेदभाव का कारण भी बन सकता है। ऐसा तब होता है जब लोग अपने से भिन्न प्रथाओं और रिवाजों को निम्न कोटि का मानते हैं।
  • आर्थिक पृष्ठभूमि का अंतर विविधता का पहलू नहीं है। यह तो असमानता है। बहुत लोगों के पास अपने खाने, कपड़े और घर की मूल जरूरतों को पूरा करने के लिए साधन और पैसे नहीं होते हैं। इस कारण दफ्ऱतरों, अस्पतालों, स्कूलों आदि में उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
  • कुछ लोगों को विविधता और असमानता पर आधारित दोनों ही तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है। एक तो इस कारण कि वे उस समुदाय के सदस्य हैं जिनकी संस्कृति को मूल्यवान नहीं माना जाता।
  • ऊपर से यदि वे गरीब हैं और उनके पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के साधन नहीं, तो इस आधार पर भी भेदभाव किया जाता है। ऐसे दोहरे भेदभाव का सामना कई जनजातीय लोगों, धार्मिक समूहों और खास क्षेत्र के लोगों को करना पड़ता है।

भेदभाव का सामना करने पर

  • अपनी आजीविका चलाने के लिए लोग अलग-अलग तरह के काम करते हैं-जैसे पढ़ाना, बर्तन बनाना, मछली पकड़ना, बढ़ईगिरी, खेती एवं बुनाई इत्यादि। लेकिन कुछ कामों को दूसरों के मुकाबले अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
  • सप़फ़ाई करना, कपड़े धोना, बाल काटना, कचरा उठाना जैसे कामों को समाज में कम महत्त्व का माना जाता है। इसलिए जो लोग इन कामों को करते हैं उनको गंदा और अपवित्र माना जाता है।
  • यह जाति व्यवस्था का एक बड़ा ही महत्त्वपूर्ण पहलू है। जाति व्यवस्था में लोगों के समूहों को एक तरह की सीढ़ी के रूप में रखा गया जिसमें एक जाति, दूसरी जाति के ऊपर या नीचे थी। जिन्होंने अपने आपको इस सीढ़ी में सबसे ऊपर रखा, उन्होंने अपने को ऊँची जाति का और उत्कृष्ट कहा।
  • जिन समूहों को इस सीढ़ी के तले में रखा गया उनको ‘अछूत’ और अयोग्य कहा गया। जाति प्रथा के नियम एकदम निश्चित थे। इन ‘अछूतों’ को दिए गए काम के अलावा और कोई काम करने की इजाजत नहीं थी। उदाहरण के लिए कुछ समूहों को सिर्फ कचरा उठाने और मरे हुए जानवरों को गाँव से हटाने की इजाजत थी।
  • उन्हें ऊँची जाति के लोगों के घर में घुसने, गाँव के कुएँ से पानी लेने और यहाँ तक कि मंदिर में घुसने की भी इजाजत नहीं थी। उनके बच्चे दूसरी जाति के बच्चों के साथ स्कूल में बैठ नहीं सकते थे। इस तरह ऊँची जाति के लोगों को जो अधिकार हासिल था, उससे उन्होंने तथाकथित अछूतों को वंचित रखा।

डा. भीम राव अंबेडकर (1891-1956):

  • डा. भीम राव अंबेडकर को भारतीय संविधान के पिता एवं दलितों के सबसे बड़े नेता के रूप में जाना जाता है।
  • डा. अंबेडकर ने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी। उनका महार जाति में जन्म हुआ था जो अछूत मानी जाती थी।
  • महार लोग गरीब होते थे, उनके पास जमीन नहीं थी और उनके बच्चों को वही काम करना पड़ता था जो वे खुद करते थे। उन्हें गाँव के बाहर रहना पड़ता था और गाँव के अंदर आने की इजाजत नहीं थी।
  • अंबेडकर अपनी जाति के पहले व्यक्ति थे जिसने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और वकील बनने के लिए इंग्लैंड गए।
  • दलितों को अपने बच्चों को स्कूल-कॉलेज भेजने के लिए प्रोत्साहित किया। दलितों से अलग- अलग तरह की सरकारी नौकरी करने को कहा ताकि वे जाति व्यवस्था से बाहर निकल पाएँ।
  • दलितों के मंदिर में प्रवेश के लिए जो कई प्रयास किए जा रहे थे, उनका अंबेडकर ने नेतृत्व किया।
  • उन्हें ऐसे धर्म की तलाश थी जो सबको समान निगाह से देखे। जीवन में आगे चल कर उन्होंने धर्म परिवर्तन करके बौद्ध धर्म को अपनाया।
  • उनका मानना था कि दलितों को जाति प्रथा के खिलाफ अवश्य लड़ना चाहिए और ऐसा समाज बनाने की तरफ काम करना चाहिए जिसमें सबकी इज्जत हो, न कि कुछ ही लोगों की।
  • भारत की जाति के तहत बहुत बड़ी संख्या में लोग भेदभाव के शिकार हुए। भारत के एक महान नेता डा. भीमराव अंबेडकर ने जाति व्यवस्था पर आधारित भेदभाव के अपने अनुभवों के बारे में लिखा है। यह अनुभव उनको 1901 में हुआ था जब वे केवल 9 साल के थे। वे महाराष्ट्र में कोरेगाँव में अपने भाइयों के साथ पिता से मिलने गए थे।
  • कल्पना करके देखिए कि यह कितना मुश्किल होगा अगर लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने न दिया जाए। यह कितना अपमानजनक और दुखदायी होगा अगर लोग आपसे दूर-दूर रहें, आपको छूने से मना करें और आपको पानी न पीने दें।
  • यह छोटी-सी घटना दिखाती है कि कैसे गाड़ी से एक से दूसरी जगह जाने के साधारण काम की सुविधा भी इन बच्चों के पास नहीं थी जबकि वे पैसा दे सकते थे।
  • स्टेशन के सभी गाड़ीवानों ने बच्चों को ले जाने से मना कर दिया। उन्होंने बच्चों के साथ भेदभाव भरा व्यवहार किया।
  • जाति पर आधारित भेदभाव न केवल दलितों को कई गतिविधियों से वंचित रखता है, बल्कि वह उन्हें आदर और सम्मान भी नहीं मिलने देता जो दूसरों को मिलता है।

दलित:

  • दलित वह शब्द है जो नीची कही जाने वाली जाति के लोग अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
  • वे इस शब्द को ‘अछूत’ से ज्यादा पसंद करते हैं। दलित का मतलब है जिन्हें ‘दबाया गया’, ‘कुचला गया’।
  • दलितों के अनुसार यह शब्द दर्शाता है कि कैसे सामाजिक पूर्वाग्रहों और भेदभाव ने दलित लोगों को ‘दबाकर रखा है’। सरकार ऐसे लोगों को ‘अनुसूचित जाति’ के वर्ग में रखती है।

समानता के लिए संघर्ष

  • ब्रिटिश शासन से आजादी पाने के लिए जो संघर्ष किया गया था उसमें समानता के व्यवहार के लिए किया गया संघर्ष भी शामिल था।
  • दलितों, औरतों, जनजातीय लोगों और किसानों ने अपने जीवन में जिस गैर-बराबरी का अनुभव किया, उसके खिलाप़फ़ उन्होंने लड़ाई लड़ी।
  • बहुत सारे दलितों ने संगठित होकर मंदिर में प्रवेश पाने के लिए संघर्ष किया। महिलाओं ने माँग की कि जैसे पुरुषों के पास शिक्षा का अधिकार है वैसे उन्हें भी अधिकार मिले। किसानों और दलितों ने अपने आपको जमींदारों और उनकी ऊँची ब्याज की दर से छुटकारा दिलाने के लिए संघर्ष किया।
  • 1947 में भारत जब आजाद हुआ और एक राष्ट्र बना तो हमारे नेताओं ने समाज में व्याप्त कई तरह की असमानताओं पर विचार किया।
  • संविधान को लिखने वाले लोग भी इस बात से अवगत थे कि हमारे समाज में कैसे भेदभाव किया जाता है और लोगों ने उसके खिलाफ किस तरह संघर्ष किया है। कई नेता इन लड़ाइयों के हिस्सा थे जैसे डा. अंबेडकर।
  • इसलिए नेताओं ने संविधान में ऐसी दृष्टि और लक्ष्य रखा जिससे भारत में सभी लोगों को बराबर माना जाए। समानता को एक अहम मूल्य की तरह माना गया है जो हम सभी को एक भारतीय के रूप में जोड़ती है।
  • प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और समान अवसर प्राप्त हैं। अस्पृश्यता यानी छुआछूत को अपराध की तरह देखा जाता है और इसे कानूनी रूप से खत्म कर दिया गया है।
  • लोग अपनी पसंद का काम चुनने के लिए बिल्कुल आजाद हैं। नौकरियाँ सभी लोगों के लिए खुली हुई हैं। इन सबके अलावा संविधान ने सरकार पर यह विशेष जिम्मेदारी डाली थी कि वह गरीबों और मुख्यधारा से अलग-थलग पड़ गए समुदायों को इस समानता के अधिकार के फायदे दिलवाने के लिए विशेष कदम उठाए।
  • संविधान के लेखकों ने यह भी कहा कि विविधता की इज्जत करना, उसे मूल्यवान मानना समानता सुनिश्चित करने में बहुत ही महत्त्वपूर्ण कारक है।
  • उन्होंने यह महसूस किया कि लोगों को अपने धर्म का पालन करने, अपनी भाषा बोलने, अपने त्योहार मनाने और अपने को खुले रूप से अभिव्यक्त करने की आजादी होनी चाहिए।
  • उन्होंने कहा कि कोई एक भाषा, धर्म या त्योहार सबके लिए अनिवार्य नहीं बनना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि सरकार सभी धर्मों को बराबर मानेगी।
  • इसीलिए भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ लोग बिना भेदभाव के अपने धर्म का पालन करते हैं। इसे एकता के महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जाता है कि हम इक्कठे रहते हैं और एक दूसरे की इज्जत करते हैं।
  • हालाँकि हमारे संविधान में इन विचारों पर जोर दिया गया है, पर यह पाठ इसी बात को उठाता है कि असमानता आज भी मौजूद है। समानता वह मूल्य है जिसके लिए हमें निरंतर संघर्ष करते रहना होगा।
  • भारतीयों के लिए समानता का मूल्य वास्तविक जीवन का हिस्सा बने, सच्चाई बने इसके लिए लोगों के संघर्ष, उनके आंदोलन और सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदम बहुत जरूरी हैं।

अभ्यास प्रश्न

Q.1

लद्दाख से सम्बंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  1. लद्दाख, जम्मू कश्मीर के पश्चिमी क्षेत्र में पहाड़ियों में बसा एक रेगिस्तानी इलाका है, यहाँ बिल्कुल भी बारिश नहीं होती।
  2. यहाँ के लोग इस तरह की बकरी पालते हैं जिससे हमें पश्मीना ऊन प्राप्त होता है।

उपरोक्त में कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है/हैं?

  • केवल 1
  • केवल 2
  • 1 और 2 दोनों
  • न तो 1 और न ही 2
Q.2

केरल के सन्दर्भ में नीचे दिये कथनों पर विचार कीजिये-

  1. भारत में इस्लाम धर्म की शुरुआत केरल में हुई।
  2. केरल की जमीन चावल की कृषि के लिये अत्यन्त उपयोगी है।

उपरोक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?

  • केवल 1
  • केवल 2
  • 1 और 2 दोनों
  • न तो 1 और न ही 2
Q.3

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  1. ‘दलित’ शब्द को नीची कही जाने वाली जाति के लोग अपनी पहचान के रूप में प्रयोग करते हैं।
  2. दलित का शाब्दिक अर्थ ‘दबाकर रखा गया’ या ‘कुचला गया’ है।

उपरोक्त में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?

  • केवल 1
  • केवल 2
  • 1 और 2 दोनों
  • न तो 1 और न ही 2
Q.4

केरल में बेहतर शिक्षा व्यवस्था से सम्बंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  1. सरकारी बस की सुविधा बहुत अच्छी है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों को स्कूल पहुँचने में मदद मिलती है।
  2. 60 प्रतिशत से ज्यादा महिला शिक्षकों का होना।
  3. स्कूलो का प्रायः घर के पास स्थित होना।

उपरोक्त में कौन-सा/से कथन सत्य नहीं है/हैं?

  • केवल 3
  • केवल 1 और 2
  • केवल 2 और 3
  • उपरोक्त सभी
Q.5

नीचे दो कथन दिए गए हैं जिसमें एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है।

  1. कथन: अस्पृश्यता यानी छुआछूत को अपराध की तरह देखा जाता है और इसे कानूनी रूप से खत्म कर दिया गया है।
  2. कारण: प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और समान अवसर प्राप्त हैं।

कूट:

  • A और R दोनों सही है तथा A, R की सही व्याख्या है।
  • A और R दोनों सही है तथा A, R की सही व्याख्या नहीं है।
  • A सही है, किन्तु R गलत है।
  • A गलत है, किन्तु R सही है।

उत्तर

  1. A
  2. B
  3. C
  4. D
  5. A